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Patang Ki Karamat

Patang Ki Karamat

पतंग की करामात
Publisher: Eklavya
Author: Nikolus Barn
Illustrator: Priya, Soumya Menan
ISBN: 978-93-81300-91-6
Binding: Paperback
Language: Hindi
Pages: 16
Published: 0000-00-00
Regular price ₹ 40.00
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पतंग उड़ी, उड़ी और उड़ती चली गई आसमान में। फिर जा अटकी चाँद पर।  जब बापस धरती पर लौटी तो अपने साथ लाई...।

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Customer Reviews

Based on 2 reviews
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K
Kumud Wadhwani
Book review

कल्पना की उड़ान चाँद तक ले जाती है और वह भी पतंग से । चित्रण बहुत सुंदर है ।

S
Simran uikey
पतंग उड़ चला

एक बार मैं पतंग उड़ा रही थी। अचानक मेरी पतंग ऊपर चढ़ गई। अब मैं क्या करूँ? तो आसमान में दो आदमी चढ़े थे। तो वो आ बैठे मेरी पतंग पर फिर क्या मैंने जोर का झटका मारा आ गए नीचे। आप क्या करते बताना जरूर।