यह पुस्तक न्यूजीलैंड के माओरी बच्चों की शिक्षा को समर्पित एक अध्यापिका के जीवन अनुभवों का निचोड़ और बाल केन्द्रित शिक्षण पद्धति का सर्जनात्मक दस्तावेज़ है। इसमें बच्चों को केन्द्र में रखकर उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर शिक्षा पद्धति का ताना-बाना तैयार किया गया है। यह पुस्तक स्कूली व्यवस्था/शिक्षा प्रणाली की आलोचना न कर उसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए उसी व्यवस्था के बीच खड़े होकर सीखने वालों का चरित्र, व्यवहार और काम का तरीका सब कुछ बदल देने के संकल्प का आदर्श प्रस्तुत करती है।