चकमक में बोली रंगोली के लिए गुलज़ार साहब की कही कविताओं को बच्चे हर माह चित्रों में पिरोते हैं। यह केलेण्डर उन्हीं कविताओं और चित्रों की सुरीली जुगलबन्दी है।